Monday, September 25, 2023
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MahaMrityunjaya Mantra  – संकटमोचक महामृत्युंजय महामंत्र

संकटमोचक महामृत्युंजय महामंत्र ( Maha Mrityunjaya Mantra )का जाप करने से साधक के कष्ट तुरंत समाप्त हो जाते हैं।

यदि पूर्ण एकाग्रता के साथ  साधना प्रारम्भ की जाए तो समस्त भय और संकटों से मुक्ति मिल जाती है।

शिव पुराण, मंत्र शास्त्र, मंत्र संहिता आदि विभिन्न ग्रंथों में इसका विशेष उल्लेख किया किया गया है।

    हमारी भारतीय संस्कृति में धार्मिक कृत्यों का एक अपना खास ही महत्व है।

    विभिन्न धर्म ग्रंथों, वेद, पुराण आदि में आपको कई ऐसे मंत्र और अनुष्ठान देखने व पढ़ने को मिलेंगे, जिनके द्वारा गंभीर-से-गंभीर बीमारियों, कष्टों व समस्याओं से छुटकारा पाना संभव है।

    यही नहीं, अकाल मृत्यु और दुर्घटना से बचाव के लिए भी इन मंत्रों का विधिपूर्वक जाप करना आपके लिए लाभदायक साबित होता है।

    ऐसा ही एक मंत्र है ‘महामृत्युंजय मंत्र’, जिसे रुद्र मंत्र, त्रयम्बकम मंत्र, मृत संजीवनी मंत्र आदि नामों से भी लोग जानते हैं।

    बता दें कि पद्म पुराण में वर्णित इस मंत्र को महर्षि मार्कंडेय ने ही तैयार किया था।

    ऐसी मान्यता है कि मार्कंडेय ही एकलौते ऐसे ऋषि थे, जिन्हें इस महामंत्र का ज्ञान था।

    यही नहीं, महर्षि शुक्राचार्य ने भी इस महामंत्र के द्वारा अमृत सिद्धि की प्राप्ति की थी।

    यह बहुत कम लोग जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र को भगवान शिव की मृत्युंजय के रूप में समर्पित हैं।

    वहीं, इस मंत्र के बीज अक्षरों में विशेष शक्ति मौजूद है।

    इस मंत्र को ऋग्वेद का हृदय भी माना जाता है। जान लें कि मैडीटेशन के लिए इस मंत्र से बेहतर कोई और मंत्र नहीं होता है।

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंत्र की श्रद्धापूर्वक साधना करने से आपके जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा दुर्घटना आदि से भी बचाव होता है।

    ॐ हौं जूं स: भूर्भुव: स्व:
    ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बंधनानमृत्योर्मुक्षीय मामृतात।
    स्व:भुव: भू ॐ स: जूं हौं ॐ।

    समस्‍त संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले शिव की हम अराधना करते हैं।
    विश्‍व में सुरभि फैलाने वाले भगवान शिव मृत्‍यु न कि मोक्ष से हमें मुक्ति दिलाएं।

    इस मंत्र का विस्तृत रूप से अर्थ |

    हम भगवान शंकर की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो प्रत्येक श्वास में जीवन शक्ति का संचार करते हैं|

    जो सम्पूर्ण जगत का पालन-पोषण अपनी शक्ति से कर रहे हैं,उनसे हमारी प्रार्थना है कि वे हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्त कर दें, जिससे मोक्ष की प्राप्ति हो जाए |

    जिस प्रकार एक ककड़ी अपनी बेल में पक जाने के उपरांत उस बेल-रूपी संसार के बंधन से मुक्त हो जाती है|

    उसी प्रकार हम भी इस संसार-रूपी बेल में पक जाने के उपरांत जन्म-मृत्यु के बन्धनों से सदा के लिए मुक्त हो जाएं, तथा आपके चरणों की अमृतधारा का पान करते हुए शरीर को त्यागकर आप ही में लीन हो जाएं|

    मेरे विचार से महामृत्युंजय मंत्र शोक,मृत्यु भय,अनिश्चता,रोग,दोष का प्रभाव कम करने में,पापों का सर्वनाश करने में अत्यंत लाभकारी है|

    महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना या करवाना सबके लिए और सदैव मंगलकारी है,परन्तु ज्यादातर तो यही देखने में आता है कि परिवार में किसी को असाध्य रोग होने पर अथवा जब किसी बड़ी बीमारी से उसके बचने की सम्भावना बहुत कम होती है,तब लोग इस मंत्र का जप अनुष्ठान कराते हैं|

    महामृत्युंजय मंत्र का जाप अनुष्ठान होने के बाद यदि रोगी जीवित नहीं बचता है तो लोग निराश होकर पछताने लगे हैं कि बेकार ही इतना खर्च किया |

    यहां पर मैं एक बात कहना चाहूंगा कि मेरे विचार से तो इस मंत्र का मूल अर्थ ही यही है कि हे महादेव या तो रोगी को ठीक कर दो या तो फिर उसे जीवन मरण के बंधनों से मुक्त कर दो|

    अत: इच्छानुसार फल नहीं मिलने पर पछताना या कोसना नहीं चाहिए|

    अंत में एक बात और कहूँगा कि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण न करें और महा मृत्युंजय मन्त्र जपने के बाद में इक्कीस बार गायत्री मन्त्र का जाप करें ताकि महामृत्युंजय मन्त्र का अशुद्ध उच्चारण होने पर भी पर अनिष्ट होने का भय न रहे|

    जगत के स्वामी बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती आप सबकी मनोकामना पूर्ण करें|

    महामृत्युंजय मंत्र की साधना पूरे श्रद्धा, विश्वास और निष्ठा के साथ विधि-विधान से करना बहुत ज़रूरी होता है।

    शास्त्रों की मानें तो इस मंत्र का जाप शुक्ल पक्ष के सोमवार को भगवान शिव के मंदिर में कम से कम एक लाख बार किए जाने का विधान है।

    बता दें कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप आप खुद कर सकते हैं या फिर किसी वेद पाठी ब्राह्मण की मदद भी ले सकते हैं।

    ध्यान रखें कि जब आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहे हो तो उस समय भगवान शिव पर सफेद पुष्प, दूध, बेल पत्र, फल आदि अर्पित अवश्य करें।

    यही नहीं, भगवान शिव जी की पूजा में सभी तरह के सुगंधित पुष्प जैसे कि कनेर, धतूरा, कटेरी, अपराजिता, चम्पा, शीशम, पलाश, नीलकमल, केसर, बेला, गूलर, जयंती, नागचम्पा, तगर, चमेली, गूमा आदि चढ़ाए जा सकते हैं।

    वहीं कुछ पुष्प जैसे कि केतकी, कदम्ब, कपास,  जूही, गाजर, सेमल, अनार, मदंती, कैथ, बहेड़ा और केवड़े को चढ़ाना सख्त मना है।

    महामृत्युंजय मंत्र एकलौता ऐसा मंत्र है, जिसके जाप से साधक की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है।

    अरिष्ट और अनिष्ट को दूर करने के लिए भी इस मंत्र का जाप आप कर सकते हैं।

    वहीं, शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव, शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया के अशुभ फल कम करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप ज़रूर से करना चाहिए।

    यही नहीं, रोगों की शांति और जीवन में प्रसन्नता की प्राप्ति के लिए भी इस मंत्र से बढ़कर कुछ और नहीं है।

    भगवान शिव की पूजा करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम समय माना जाता है।

    इस माह शिवजी की विधि पूर्वक पूजा आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।

    शिव को जल्द प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र सबसे प्रभावशाली मंत्र है।

    इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है, लेकिन इसका जप करते हुए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।

    अगर आप इन बातों का ध्यान नहीं रखते तो इसका आप पर उल्टा प्रभाव भी पड़ सकता है।

    आइए जानते हैं वो बातें जिनका आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखना चाहिए

    सबसे पहली बात जो महामृत्युंजय मंत्र का जप करते वक्त आपको ध्यान रखना है वह यह कि आप इसका उच्चारण ठीक से और शुद्धता के साथ करें।

    मंत्र का जाप करते समय एक निश्चित संख्या निर्धारण करें। हर दिन इसकी संख्या बढ़ाते जाएं, लेकिन कम न करें।

    • जाप करते समय कोई आसन या कुश का आसन बिछा कर करें।
     
    • जाप करते समय पूर्व दिशा की तरफ मुख करें।
     
    • मंत्र का जाप करने के लिए एक जगह तय कर लें रोजाना जगह न बदलें।
     
    • मंत्र करते समय अपने मन को कहीं दूसरी तरफ न भटकने दें।
     
    • जितने दिन तक आप यह जाप करें उतने दिन मांसाहार या शराब का सेवन न करें।
     
     
    • मंत्र का जाप करते समय धूप जलाएं।
     
    • मंत्र का जाप करते वक्त आलस्य या उबासी को आस पास न भटकने दें।
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