साधना

Your Spiritual Journey

पांडवों को कैसे खुशी रखती थीं द्रौपदी? सत्यभामा को बताई थी ये बातें

वनवास के दौरान जब पांडव काम्यक वन में रह रहे थे। तब एक दिन भगवान श्रीकृष्ण सत्यभामा को लेकर उनसे मिलने पहुंचे। जब पांडव और श्रीकृष्ण भविष्य की योजना बना रहे थे। तब उनसे थोड़ी दूरी पर सत्यभामा और द्रौपदी बातें कर रहीं थीं। बातों ही बातों में सत्यभामा ने द्रौपदी से पूछा कि- तुम्हारे पति बहुत ही शूरवीर हैं, तुम इन सभी के साथ कैसा व्यवहार करती हो, जिससे कि वे तुम पर कभी क्रोधित नहीं होते और सदैव तुम्हारे वश में रहते हैं। तब द्रौपदी ने सत्यभामा को ये बातें बताईं-

द्रौपदी ने सत्यभामा से कहीं ये बातें-
मैं अहंकार, काम, क्रोध को छोड़कर पांडवों की सेवा करती हूं। मैं कटु वचन नहीं बोलती, असभ्यता से खड़ी नहीं होती, बुरी बातें नहीं सुनती, बुरी जगहों पर नहीं बैठती। देवता, मनुष्य, गंधर्व, धनी अथवा रूपवान- कैसा भी पुरुष हो, मेरा मन पांडवों के अतिरिक्त और कहीं नहीं जाता। अपने पतियों के भोजन किए बिना मैं भोजन नहीं करती, स्नान किए बिना स्नान नहीं करती और बैठे बिना स्वयं नहीं बैठती।

द्रौपदी ने ये भी कहा सत्यभामा से-
मैं घर के बर्तनों को मांज-धोकर साफ रखती हूं, स्वादिष्ट भोजन बनाती हूं। समय पर भोजन कराती हूं। घर को साफ रखती हूं। बातचीत में भी किसी का तिरस्कार नहीं करती। दरवाजे पर बार-बार जाकर खड़ी नहीं होती। आलस्य से दूर रहती हूं। मैं अपने पतियों से अच्छी भोजन नहीं करती, उनकी अपेक्षा अच्छे वस्त्राभूषण नहीं पहनती और न कभी मेरी सासजी से वाद-विवाद करती हूं।
जिस समय महाराज युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में शासन करते थे, उस समय जो कुछ आमदनी, व्यय और बचत होती थी, उस सबका विवरण मैं अकेली ही रखती थी। इस प्रकार पत्नी के लिए शास्त्रों में जो-जो बातें बताई गई हैं, मैं उन सबका पालन करती हूं।

द्रौपदी ने सत्यभामा से और क्या कहा, जानने के लिए आगे की स्लाइड्स पर क्लिक करें-

तस्वीरों का इस्तेमाल प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

इसके बाद द्रौपदी ने सत्यभामा से कहा कि-
मैं पति के मन को अपने वश में करने का मार्ग बताती हूं, ध्यान से सुनो। पत्नी के लिए पति के समान कोई दूसरा देवता नहीं है। जब तुम्हारे कानों में पतिदेव की आवाज पड़े तो तुम आंगन में खड़ी होकर उनके स्वागत के लिए तैयार रहो और जब वे भीतर आ जाएं तो तुरंत ही आसन और पैर धोने के लिए जल देकर उनका सत्कार करो। पति की बातों को गुप्त रखो।
पति के प्रियजनों का खास ध्यान रखो। कुलीन, दोषरहित और सती स्त्रियों के साथ ही मेल-जोल रखो। यदि पति काम के लिए दासी को आज्ञा दें तो तुम स्वयं ही उठकर उनके सब काम करो। जो कोई भी पति से वैर रखते हों, ऐसे लोगों से दूर रहो। इस प्रकार सब तरह से अपने पतिदेव की सेवा करो। इससे तुम्हारे यश और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *