HomeHeadlinesमहाभारत से मिलने वाली सीख

महाभारत से मिलने वाली सीख

हिन्दूओं के धर्म ग्रंथों में महाभारत को एक विशेष स्थान प्राप्त है |महाभारत के ग्रन्थ में जीवन से जुडी कई ऐसी बातें मोजूद हैं जो इन्सान को बहुमूल्य सीख प्रदान कर सकती हैं |जीवन, धर्म, राजनीति, समाज, देश, ज्ञान, विज्ञान इन सभी विषयों के बारे में महाभारत में विस्तृत जानकारी मोजूद है |आगे पढ़ते हैं जीवन के कुछ और सबक जो हमें इस ग्रन्थ से सीखने को मिलते हैं |
• श्री कृष्ण ने पांडवों को कुरुक्षेत्र का युद्ध सिर्फ अपनी बेहतरीन प्रबंधन और रणनीति से जिताया था | नहीं तो पांडवों की सेना कभी भी इतनी सक्षम नहीं थी की वो कौरवों के आगे खड़ी हो सके | इससे हमें सीख मिलती है की जीवन में कुछ भी तब तक हासिल नहीं कर सकते जब तक उसकी एक निश्चित योजना या स्ट्रेटेजी नहीं बनी हो | अगर आपका उद्देश्य सही है तो कोई भी आपको अपने जीवन की जंग जीतने से नहीं रोक सकता |
• ये बेहद ज़रूरी है की आप अपने जीवन में अच्छी संगत रखें | तभी आप जीवन यापन सही रूप से कर पाएं | दुर्योधन स्वयं में इतना बुरा नहीं था | उसे ज्यादा बुरा बनाया शकुनी मामा के गलत मार्गदर्शन ने | ये सीख लेने की ज़रुरत है की जीवन में चाहे आप कितने भी अच्छे हों अगर आपकी संगत में नकरात्मक लोग हैं तो आपका बर्बाद हो जाना पूर्ण रूप से निश्चित है |
• हिंदी में एक कहावत है थोथा चना बाजे धना यानि की अधूरा ज्ञान किसी भी प्रकार का खतरनाक होता है | ऐसा व्यक्ति अपने आधे ज्ञान से ही अपने को बेहद समझदार सोचता है और अक्सर उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है | ऐसा ही कुछ अभिमन्यु के साथ भी हुआ | उसने चक्रव्यूह में घुसना तो सीख लिया लेकिन बाहर आने का तरीका उसे नहीं मालूम था | ऐसे में उसका ये अधूरा ज्ञान उस पर भारी पड़ गया और वह वीरगति को प्राप्त हुआ |इसलिय इन्सान को चाहिए की वह कम से कम एक विषय में पूर्ण रूप से पारंगत हो जाये |


• इस जीवन में ये अति ज़रूरी है की हम अपने दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करना सीख लें | इस युद्ध में कौन किस का दोस्त था और कौन दुशमन ये कह पाना बेहद कठिन था | भीष्म ,विदुर इत्यादि थे तो कौरव गुट में लेकिन जीत के लिए सलाह पांडवों को देते थे | इसके इलावा शल्य और युयुत्सु इत्यादि आखिरी समय में अपना पाला बदल विपरीत गुट में चले गए थे | दुनिया में किसी पर भी विश्वास करने से पहले कई बार सोच लें | ज़रूरी नहीं की जो दोस्त बनके सामने आया वो निश्चित तौर पर आपका हित चाहता है इसलिए सावधान रहे |
• अक्सर हमारे बोल बने बनाये खेल बिगाड़ देते हैं | एक बार द्रौपदी अपने महल में झरोके में खड़ी थीं | भाग्यवश दुर्योधन वहां से गुज़रा और बिना देखे पानी के सरोवर में गिर गया | इस पर द्रौपदी ने कहा “अंधे का पुत्र अँधा”| अगर उस समय द्रौपदी अपने वचनों पर थोडा नियंत्रण रखती तो शायद ये युद्ध कभी नहीं होता | इसके इलावा शिशुपाल के वचन और शकुनी की बातें भी काफी कठोर थी | इसलिए कहा जाता है की वाणी को सदेव मधुर रखना चाहिए |
• पांडवों का विनाश तब हुआ जब उन्होनें जुए जैसी आदत को अपना लिया | इसके चलते शकुनी ने न सिर्फ उनसे उनकी बनी बनायी जायदाद ले ली उन्हें द्रौपदी को भी दांव लगाना पड़ गया | इसलिए हमेशा ऐसी बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए जो हमें बर्बाद कर सकती हैं |
• कौरवों की सेना बेहद सशक्त थी और उसमें कई ऐसे योद्धा थे जो किसी को भी हराने की क्षमता रखते थे |इसके बावजूद उन्हें हार का सामना करना पड़ा | ऐसा इसलिए क्यूंकि जब दुर्योधन से श्री कृष्ण ने नारायणी सेना और स्वयं में चुनाव करने को कहा तो उसने सेना को चुनना बेहतर समझा | कृष्ण तो खुद भगवान थे सत्य का प्रतीक इसलिए जहाँ वह हैं वहां तो जीत निश्चित है | अगर आप भी सही रास्ते पर चलते हैं तो हो सकता है आपको तकलीफ हो लेकिन आप का भविष्य अति खूबसूरत होगा इसलिए सत्य की राह से हटे नहीं |
• जीवन में कई बार नहीं चाहते हुए हम दुविधा में पड़ जाते हैं | क्या हमें अन्याय के विरुद्ध खड़े हो उसका सामना करना चाहिए या फिर समझौता कर लेना चाहिए |पांडव अपने परिवार से युद्ध नहीं करना चाहते थे लेकिन श्री कृष्ण ने समझाया की ये एक धर्म युद्ध है जो उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा | अगर किसी समस्या का हल शांति पूर्वक नहीं निकल रहा है तो युद्ध करना ही आखरी विकल्प है |


• जीवन में हमेशा दानवीर और औरों के बारे में सोचने से अक्सर लोग हमारा फायदा उठा लेते हैं |ऐसा ही कुछ कर्ण के साथ हुआ |उनके जीवन में बहुत उतार चड़ाव आये जिस कारण उनके मन में समाज के लिए एक द्वेष भावना मन में बस गयी | हांलाकि उन्होनें अपने को परिपक्व बनाया लेकिन इस को सिर्फ समाज को सबक सिखाने के लिए इस्तेमाल किया |इसी कारण महान होने के बावजूद भी वह उस ख्याति को प्राप्त नहीं कर सके जो अर्जुन को मिली |
• इस जीवन में अच्छे दोस्त बहुत कम मिलते हैं इसलिए उनकी कद्र करनी चाहिए |अगर पांडवों के पास कृष्ण की दोस्ती थी तो दुर्योधन के पास कर्ण जैसा वीर योद्धा और दोस्त था | लेकिन जहाँ पांडव कृष्ण की हर बात मानते थे दुर्योधन कर्ण का सिर्फ इस्तेमाल करता था | अगर दुर्योधन अमोघ अस्त्र का इस्तेमाल कर्ण से घतोत्घच पर नहीं करवाता तो निश्चित तौर पर अर्जुन मारे जाते | इसलिए दोस्ती की कद्र करो और उसे कभी अपने लिए गलत काम करने पर मजबूर नहीं करो | उसी तरह अगर आपका दोस्त किसी गलत राह पर चल रहा है तो ये ज़रूरी है की आप उसे ऐसा करने से रोकें और अगर वह न माने तो ऐसी दोस्ती से किनारा कर लें |
• दृढ़ता से जो जीवन का सामना करता है वही सफल रहता है | अक्सर भावुक लोग सही गलत में फर्क नहीं कर पाते और इस तरह अपना जीवन व्यर्थ बर्बाद कर देते हैं | ध्रितराष्ट्र भी एक ऐसे पिता थे जिन्होनें पुत्र मोह में सही गलत का फर्क नहीं समझा | अगर वह अपने बेटों को सही मार्गदर्शन देते तो ये युद्ध शायदा कभी घटित नहीं होता |


• अपनी आज की स्थिति का कभी घमंड नहीं करना चाहिए क्यूंकि कल न जाने क्या पेश कर दे | एक पल में द्रौपदी इन्द्रप्रस्थ की महारानी थी और थोड़ी देर में दासी बन जंगल की और प्रस्थान कर रही थी | ये साबित करता है की किसी का अहंकार कभी नहीं टिक पाया इसलिए हमें सिर्फ कर्म पर ध्यान देना चाहिए |
• इस जीवन में सदेव कर्मों की सजा से डरना चाहिए | ये कभी नहीं सोचना चाहिए की हम कुछ भी कर सकते हैं कोई क्या कर लेगा | कोई देखे न देखे इश्वर सब देखता है और आपको सही सजा भी देगा |अश्वतथामा एक बहुत वीर और सुशिल युवक था | दुर्भाग्यवश वह गलत गुट का हिस्सा था | लेकिन फिर भी वह अपना युद्ध हिम्मत से लड़ता रहा | जब उसके पिता को धोखे से मार दिया गया और कौरवों की सेना भी नष्ट हो गयी तो उसने बदला लेने के लिए द्रौपदी के सभी पुत्रों को सोते में मार डाला | ये एक बहुत ही जघन्य अपराध था और उसे इसका दंड देने का फैसला किया गया | सब ने फैसला किया की सजा ऐसी होनी चाहिए जो मृत्यु से भी कठिन हो | अंत में श्रीकृष्ण ने सजा सुनाई:- ‘तुम इस धरती पर 3,000 साल तक अकेले, अदृश्य, रक्त और पीप की बदबू लिए भटकोगे।’

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

C G Suprasanna on Vijayraghav Mandir, Ayodhya
Peddinti Devaraju on Nilavanti : The book of Mysteries
Premswarup yadav on Nilavanti : The book of Mysteries
P.chandrasekaran on Hindu temples in Switzerland
Muhamad on Soma
Muhamad on Soma
muhamadsofyansanusi28@gmail.com on Soma
Pankajkumar Shinde on Nilavanti : The book of Mysteries
Ashwath shah on Mahabharat- Story or Truth
Shubhra lokhandr on Nilavanti : The book of Mysteries
Aditya Sharma on Mahabharat- Story or Truth
Aditya Sharma on Mahabharat- Story or Truth
prachi chhagan patil on Nilavanti : The book of Mysteries
Prateek the vedantist on Shivleelamrut 11 Adhyay
Prateek the vedantist on Shivleelamrut 11 Adhyay
Voluma on Brihaspati
Vinayak anil lohar on Sirsangi Kalika Temple
Exit mobile version